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येन॒ द्यौरु॒ग्रा पृ॑थि॒वी च॑ दृ॒ढा येन॒ स्व᳖ स्तभि॒तं येन॒ नाकः॑। योऽ अ॒न्तरि॑क्षे॒ रज॑सो वि॒मानः॒ कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥६ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

येन॑। द्यौः। उ॒ग्रा। पृ॒थि॒वी। च॒। दृ॒ढा। येन॑। स्व᳖रिति॒ स्वः᳖। स्त॒भि॒तम्। येन॑। नाकः॑ ॥ यः। अ॒न्तरि॑क्षे। रज॑सः। विमान॒ इति॑ वि॒ऽ मानः॑। कस्मै॑। दे॒वाय॑। ह॒विषा॑। वि॒धे॒म॒ ॥६ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:32» मन्त्र:6


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! (येन) जिस जगदीश्वर ने (उग्रा) तीव्र तेजवाले (द्यौः) प्रकाशयुक्त सूर्य्यादि पदार्थ (च) और (पृथिवी) भूमि (दृढा) द्य्ढ़ की है, (येन) जिसने (स्वः) सुख को (स्तभितम्) धारण किया, (येन) जिसने (नाकः) सब दुःखों से रहित मोक्ष को धारण किया, (यः) जो (अन्तरिक्षे) मध्यवर्ती आकाश में वर्त्तमान (रजसः) लोकसमूह का (विमानः) विविध मान करनेवाला है, उस (कस्मै) सुखस्वरूप (देवाय) स्वयं प्रकाशमान, सकल सुखदाता ईश्वर के लिये हम लोग (हविषा) प्रेम भक्ति से (विधेम) सेवाकारी वा प्राप्त होवें ॥६ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्यो ! जो समस्त जगत् का धर्त्ता, सब सुखों का दाता, मुक्ति का साधक, आकाश के तुल्य व्यापक परमेश्वर है, उसी की भक्ति करो ॥६ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(येन) जगदीश्वरेण (द्यौः) सूर्यादिप्रकाशवान् पदार्थः (उग्रा) तीव्रतेजस्का (पृथिवी) भूमिः (च) (दृढा) दृढीकृता (येन) (स्वः) सुखम् (स्तभितम्) धृतम् (येन) (नाकः) अविद्यमानदुःखो मोक्षः (यः) (अन्तरिक्षे) मध्यवर्त्तिन्याकाशे (रजसः) लोकसमूहस्य। लोका रजांस्युच्यन्त इति निरुक्तम्। (विमानः) विविधं मानं यस्मिन् सः (कस्मै) सुखस्वरूपाय (देवाय) स्वप्रकाशाय सकलसुखदात्रे (हविषा) प्रेमभक्तिभावेन (विधेम) परिचरेम प्राप्नुयाम वा ॥६ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! येनोग्रा द्यौः पृथिवी च दृढा येन स्वः स्तभितं येन नाकः स्तभितो योऽन्तरिक्षे वर्त्तमानस्य रजसो विमानोऽस्ति, तस्मै कस्मै देवाय वयं हविषा विधेमैवं यूयमप्येनं सेवध्वम् ॥६ ॥
भावार्थभाषाः - हे मनुष्याः ! यः सकलस्य जगतो धर्त्ता सर्वसुखप्रदाता मोक्षसाधक आकाश इव व्याप्तः परमेश्वरोऽस्ति तस्यैव भक्तिं कुरुत ॥६ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे माणसांनो ! जो सर्व जगाचा धारणकर्ता, सर्व सुखाचा दाता, मुक्ती प्रदाता, आकाशाप्रमाणे व्यापक असतो अशा परमेश्वराची भक्ती करा.